भारत में 2017 के आंकड़ों के अनुसार 460 मेडिकल कॉलेज, एवं 2013 आंकड़ों की माने तो भारत में 4,419 हॉस्पिटल शहरी क्षेत्रों में जिनमें 4,32,526 बेड है। आयूष के तहत 26,107 डिस्पेंसरी 3,167 देखभाल केंद्र, 1,51,685 उप-केंद्र, 24,448 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, और 5,187 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्थापित है।जबकि प्राइवेट अस्पतालों की तादाद 80,671 है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के मुताबिक, देशभर में रजिस्टर्ड एलोपैथिक डॉक्टरों की संख्या 10,22,859 में से महज 1,13,328 डॉक्टर ही सरकारी अस्पतालों में हैं यानी 90 फीसदी डॉक्टर प्राइवेट सेक्टर में है।
देश की बढ़ती जनसंख्या और बिमारियों की बढ़ती संख्या एक गंभीर समस्या बन चुकी है। वर्तमान में जो स्वास्थ्य केंद्र स्थापित है, वे भी न काफी है। सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं का जो नेटवर्क स्थापित किया है। उनमें व्यवस्था आज भी बहुत लचर एवं भ्रष्ट है, जिस कारण देश की जनता बीमारियों के इलाज के कारण मर जाते है। कही ना कही हमारी व्यवस्थाओं के प्रबंधन में बहुत बड़ी कमी है। मैने अपने रिसर्च के दौरान पाया कि सरकार का चिकित्सा-लय, चिकित्सक और दवा बिक्रेताओं पर कोई ठोस नियंत्रण नहीं है। जिसके कारण स्थानीय स्तर पर व्यवस्था प्रबंधन में लगे, अधिकारी-यों और डॉक्टर भ्रष्ट हो चुके है। जिन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर माफ़िया को जन्म दिया। जिन पर सरकार अंकुश लगाने में विफल हो रही है।
देश में सभी राजनीतिक पार्टीयां स्वास्थ सेवाओं और व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने विभिन्न स्वास्थ्य सेवाओं में लाभ और प्रलोभन देने का चुनावी वादा करते हुए नजर आते है। वर्तमान में सभी पार्टियाँ वोट बैक की राजनीति से ओत-प्रोत हो कर स्वास्थ्य सेवाओं/योजनाओं का संचालन कर रहें है। परन्तु किसी भी पार्टी के पास स्वास्थ्य सेवाओं का कोई ठोस विश्लेषण नही है। प्रतिवर्ष बीमार लोगों के संख्या में बढ़ोत्तरी, उनको दी जाने वाली स्वास्थ्य सेवाओं पर सरकार का कोई आँकड़ा स्पष्ट नही है। इस प्रकार सरकारी तथा प्राइवेट द्वारा दी जाने वाली स्वास्थ्य सेवाओं में मरीज़ प्रति-पल ठगी का शिकार हो रहा है।
स्वास्थ्य मामलों का समाधान नीति:
हमारी सरकार मरीज़, चिकित्सक, चिकत्सालय, और दवा विक्रेताओं का एक संयुक्त प्रबंधन प्रणाली को विकसित किया है। जिसके अंतर्गत देश के सरकारी एवं निजी स्वस्थ सेवा से जुड़े केंद्र एक व्यवस्था के तहत काम करेंगे। जिसपर सरकार का पूर्ण नियंत्रण होगा।
हमारी सरकार स्वस्थ्य सम्बन्धी लक्ष्य विस्तार को सुनिश्चित करेगी। जैसे :
हर एक मंडल में मेडिकल कॉलेज, तीन मण्डलों के बीच एक पीजी-आई, और प्रदेश स्तर पर एक एम्स बनाया जायेगा। जिसको जनसंख्या के आधार पर एक से अधिक विस्तारित करने का लक्ष्य होगा।
प्रत्येक मेडिकल कॉलेज में कम से कम 100-100 आसीयू और हर जनरल वार्ड को सेमी आईसीयू के रूप में विकसित किया जायेगा।
प्रत्येक आईसीयू और बेड आनलाईन होगा। जिससे व्यक्ति किसी भी मेडिकल कॉलेज के बेडों की स्थिति चेक कर सकेगा और व्यक्ति सुनिश्चित जानकारी आधार पर मरीज़ को भर्ती करा सकेगा।
हमारी सरकार एम्बुलेंस सेवाओं को विस्तारित करेगी। जिनका संचालन सामुदायिक एवं जिला केंद से पीजीआई एवं मेडिकल कॉलेज तक किया जायेगा। जो गरीबी रेखा के लोगों के लिए निःशुल्क होगा।
चिकित्सालय प्रबंधन: देश में संचालित सभी स्वास्थ्य सेवा से जुड़े छोटे-बड़े चिकित्सालय (सरकारी/प्राइवेट/चिकित्सा ट्रस्ट आदि) को एक कोर सॉफ्टवेयर प्रणाली प्रबंधन के अधीन कार्य करना होगा। इस प्रणाली द्वारा निजी रूप से स्वास्थ्य सेवा देने वाले संस्थाओं त्वरित मान्यता प्रदान किया जायेगा।
इस प्रणाली के आने से इसलिए चिकित्सा केंद्रों की मनमानी पर सरकार का पूर्ण नियंत्रण होगा। निजी चिकित्सालयों द्वारा दी जाने स्वास्थ्य सेवा शुल्क, दवाओं आदि का निर्धारण सरकार के नियंत्रण में होगा। इस प्रकार किसी भी तरह की अनिमितिता पाए जाने पर मान्यता रद्द कर दिया जायेगा।
परामर्शदाता (डॉक्टर) प्रबंधन: इस प्रणाली द्वारा हम भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (Medical Council of India) द्वारा पंजीकृत हर डॉक्टर को इंपैनल किया जायेगा। इस प्रक्रिया द्वारा डॉक्टरों के परामर्श सेवाओं का प्रबंधन किया जायेगा। यह एक कोर प्रणाली के आधार पर काम करेगा। जिसके अंतर्गत मरीज़ को दिए जाने वाले परामर्श और दवाओं को मॉनिटर किया जा सकेगा।
इस प्रणाली में प्रत्येक चिकित्सक को एक पैनल दिया जायेगा। जिसपर वे मरीज़ को दवाओं और टेस्ट आदि का परामर्श देंगे। निजी रूप से परामर्श देने वाले चिकित्सको के फ़ीस का निर्धारण उनके योग्यता के आधार पर मेडिकल काउंसिल करेगा।
इस प्रणाली के आने से फ़र्ज़ी चिकित्स्कों का अंत होगा। गलत इलाज से लोगों को बचाया जा सकेगा। इस प्रक्रिया द्वारा देश के सभी चिकित्सकों पर सरकार का पूर्ण नियंत्रण होगा।
दवा का प्रबंधन: हम दवा निर्माण से लेकर बिक्री तक को एक प्रबंधन प्रणाली को विकसित किया है। जिसके अंतर्गत दवा बनाने से लेकर बेचने तक की लाइसेंस प्रणाली को आसान बनाया जायेगा। इसके लिए केंद्र एवं राज्य स्तर के ड्रग कंट्रोल ओर्गनइजेशन द्वारा एक कोर एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर जारी किया जायेगा। जिसके अधीन दवा सम्बन्धी प्रबंधन किया जायेगा। जैसे :
दवा निर्माताओं तथा नये निर्माताओं का रजिस्ट्रेशन एवं अन्य मानक सर्टिफिकेशन प्रदान करना । ड्रग कंट्रोल और दवा निर्माताओं के साझा समीक्षा मूल्यांकन के आधार पर मूल्य निर्धारण किया जायेगा। जिससे दवा निर्माताओं के मनमानी दवा मूल्य आदि पर सरकार का नियंत्रण होगा।
दवा बिक्रेताओं के लिए ड्रग कंट्रोल ओर्गनइजेशन द्वारा एक कोर सॉफ्टवेयर जारी किया जायेगा। जिससे सभी दवा ऐजेंसी और दवा विक्रेता मरीज़ को पेशेंट आई डी की पुष्टि के आधार पर दवा बेच सकेंगे।
दवा विक्रेता भारतीय पहचान पुष्टि के आधार पर नई पेशेंट आई-डी बना सकेगा। इस प्रकार इस प्रणाली से हम दवा विक्रेता द्वारा मरीज़ को दी जाने वाली दवा और उसके मूल्य पर सरकार का पूर्ण नियंत्रण होगा।
दवा विक्रेताओं की लाइसेंस प्रक्रिया :- वर्तमान में केंद्र एवं राज्य स्तर के ड्रग कंट्रोल ओर्गनइजेशन फार्मासिस्ट सर्टिफ़िकेट के आधार लाइसेंस प्रदान करता है। हमने लाइसेंस प्रणाली को आसान किया। जो भी व्यक्ति दवा केंद्र खोलना चाहता है, वह ऑनलाइन आवेदन द्वारा माँगे गए विवरण को पूर्ण करने पर त्वरित लाइसेंस दिया जायेगा।
मैनें अपने रिसर्च में पाया ऐसे भी लोग है। जो दवाओं और चिकित्सा क्षेत्र में रूचि के साथ स्वास्थ्य संबंधी अच्छा ज्ञान भी रखते है। ऐसे लोग जो कम से कम 5 वर्ष दवाओं के क्षेत्र में जानकारी प्राप्त किए है। उनके लिए ड्रग कट्रोल ओर्गनइजेशन द्वारा एक परीक्षा कराई जाएगी। उर्त्तीण व्यक्ति दवा विक्रय केन्द्र के लिए लाइसेंस का आवेदन कर सकेगा प्राप्त कर सकेगा। इस प्रकार हम दूर दराज़ के क्षेत्रों में दवा केंद्रों का विस्तार कर सकेंगे।
मरीज़ प्रबंधन: इस प्रणाली के आने से मरीज़ और चिकित्स्कों द्वारा दी जाने वाले परामर्श, टेस्ट और दवा आदि का पूर्ण प्रबंधन किया जा सकेगा। देश का कोई भी व्यक्ति बीमार पड़ने की स्थिति में भारतीय पहचान पुष्टि द्वारा किसी भी दवा केंद्र, छोटे-बड़े चिकित्सालय आदि से पेशेंट आई-डी त्वरित प्राप्त कर सकेगा या स्वयं बना सकेगा। मरीज़ इसी आई-डी द्वारा ही दवा और उपचार करा सकेगा।
इस प्रकार मरीज़ के उपचार की पूर्ण स्थिति का आकलन किया जा सकेगा। जैसे : परामर्शदाता का नाम, टेस्ट, दवा और दवा केंद्र का नाम, की जानकारी त्वरित की जा सकेगी।
इस प्रणाली में मरीज़ को अपने टेस्ट रिपोर्ट और दवा की पर्ची लेकर चलने की कोई आवश्यकता नहीं होगी। चिकित्सक पेशेंट आई-डी से ही मरीज़ के सभी टेस्ट, दवा आदि के बारे में त्वरित जानकारी प्राप्त कर सकेगा। जिससे मरीज़ का सही इलाज कर पाना संभव होगा। इस प्रक्रिया मे फ़र्ज़ी डॉक्टरों द्वारा इलाज और दवाओं की स्थिति का पूर्णतः अंत होगा।
इस प्रणाली की शुरुआत के साथ, रोगी देश के किसी भी डॉक्टर को ऑनलाइन परामर्श शुल्क देकर डॉक्टर से परामर्श कर सकता है।
परामर्श नियंत्रण : वर्तमान में ड्रग एवं चिकित्सक माफियों ने अपने चिकित्सा-लय खोल रखे है। जिनमे वे दवाओं की अपनी मोनोपोली चलाते है। इस प्रकार वे दवाओं के मूल्य को १००0 गुना बढ़कर मूल्य का निर्धारित करते है। इन चिकित्सालयों में मरीज़ के लिए स्पष्ट निर्देश जारी करते है कि यहाँ बाहर की कोई दवा मान्य नहीं है। इस तरह की मनमानी से मरीज़ मजबूरन प्रतिदिन ठगी का शिकार हो रहा है।
इस समस्या का पूर्ण समाधान चिकित्सालय एवं दवा केंद्रों के प्रबंधन से किया जा सकेगा। इसके साथ हम फार्मूला आधारित दवा परामर्श को लागू करेंगे। जिससे दवा की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सके। स्थानीय ड्रग माफिया और नकली दवाओं को रोका जा सके।
मरीज़ को शिकायत का पूर्ण अधिकार दिया जायेगा। स्वास्थ्य सम्बन्धी शिकायत के लिए एक टोलफ्री नंबर जारी किया जायेगा। जिस पर मरीज़ द्वारा चिकित्सक, चिकित्सा-लय और दवाओं के बारे में खुली शिकायत दर्ज कर सकेगा ।
स्वास्थ्य बीमा लाभ: हमारी प्रणाली में मरीज को आर्थिक आधार पर दिए जाने वाले स्वास्थ्य सम्बन्धी लाभ त्वरित दिए जायेंगे। जिसकी पुष्टि भारतीय पहचान संख्या द्वारा त्वरित किया जा सकेगा।